वो कहता है… कि मजबूरियां हैं बहुत..
साफ लफ़्ज़ों में खुद को बेवफा नहीं कहता।
जोक्स और शायरी हिंदी में
वो कहता है… कि मजबूरियां हैं बहुत..
साफ लफ़्ज़ों में खुद को बेवफा नहीं कहता।
बेवफा से दिल लगा लिया नादान थे हम,
गलती हमसे हुई क्योंकि इंसान थे हम,
आज जिन्हें नज़रें मिलाने में तकलीफ होती है,
कुछ समय पहले उनकी जान थे हम।
अब भी तड़प रहा है तू उसकी याद में,
उस बेवफा ने तेरे बाद कितने भुला दिए।
उसके तर्क-ए-मोहब्बत का सबब होगा कोई,
जी नहीं मानता कि वो बेवफ़ा पहले से था।
लिख-लिख कर मिटा दिए
तेरी बेवफाई के गीत,
किया करती थी
तू भी वफ़ा एक ज़माने में।
इक उम्र तक मैं जिसकी जरुरत बना रहा
फिर यूँ हुआ कि उस की जरुरत बदल गई।
खुश हूँ कि मुझको जला के तुम हँसे तो सही,
मेरे न सही… किसी के दिल में बसे तो सही।
जिन फूलों को संवारा था
हमने अपनी मोहब्बत से,
हुए खुशबू के काबिल तो
बस गैरों के लिए महके।
मुझे शिकवा नहीं कुछ बेवफ़ाई का तेरी हरगिज़,
गिला तो तब हो अगर तूने किसी से निभाई हो।
माना कि मोहब्बत की ये भी एक हकीकत है फिर भी,
जितना तुम बदले हो उतना भी नहीं बदला जाता।