हिंदी शायरी दो लाइन – Hindi Shayari Two Lines

हेलो दोस्तों आज हम लेकर आये एक झन्नाटेदार दो लाइन हिंदी शायरी  का मजेदार कलेक्शन, पढ़िए, कॉपी करके दोस्तों और चाहने वालो को भेज डालिये और कर दीजिये दिल का काम तमाम, कहने का मतलब है की एक दिन इजहार तो करना ही है,

बिखरने का सब़ब क्या कहें यारों किसी से अब,
काँच टूटता है तो कुछ टुकड़े समेटने में नहीं आते।


कहने देती नहीं कुछ मुँह से मोहब्बत मेरी;
लब पे रह जाती है आ आ के शिकायत मेरी।


पूछा था हाल उन्हॊने बड़ी मुद्दतों के बाद…
कुछ गिर गया है आँख में…कह कर हम रो पड़े…


मुझसे हर बार नज़रें चुरा लेती है वो,
मैंने कागज़ पर भी बना के देखी हैं आँखें उसकी ।


मैंने वो खोया जो मेरा कभी था ही नहीं
लेकिन तुमने वो खोया जो सिर्फ तुम्हारा था


आइने में वो देख रहे थे बहारे हुस्न आया
मेरा ख़्याल तो शर्मा के रह गऐ


अपने चेहरे से जो ज़ाहिर है छुपाएँ कैसे,
तेरी मर्ज़ी के मुताबिक़ नज़र आएँ कैसे।


गर वफ़ाओं में सदाक़त भी हो और शिद्दत भी,
फिर तो एहसास से पत्थर भी पिघल जाते हैं।


वो कहानी थी, चलती रही,
मै किस्सा था, खत्म हुआ ।


बहुत नायब होते हैं जिन्हें हम अपना कहते हैं…
चलो तुमको इज़ाजत है कि तुम अनमोल हो जाओ ।।


किसके लिए तूने यह जन्नत बनाई, ऐ खुदा;
कौन है यहाँ जो तेरा गुनहगार नहीं!


लिखना तो ये था कि खुश हूँ तेरे बगैर भी,
पर कलम से पहले आँसू कागज़ पर गिर गया


दुनिया में तेरा हुस्न मेरी जां सलामत रहे
सदियों तलक जमीं पे तेरी कयामत रहे


मर जाने की ख्वाइश को मैं कुछ इस कदर मारा करता हूँ,
दिल के जहर को मैं कागज पर उतरा करता हूँ।


किसी को तलाशते तलाशते खुद को खो देना,
आंसा है क्या आशिक हो जाना।


चेहरे अजनबी हो जाये तो कोई बात नही,
रवैये अजनबी हो कर बडी तकलीफ देते हैं।


उन्हें ये खौफ की हर बात मुझसे कह डाली ..
मुझे ये वहम की कोई ख़ास बात बाकी है …


मैं नासमझ ही सही मगर वो तारा हूँ जो,
तेरी एक ख्वाहिश के लिए सौ बार टूट जाऊं।


शेर-ओ-सुखन क्या कोई बच्चों का खेल है?
जल जातीं हैं जवानियाँ लफ़्ज़ों की आग में।


वो क़त्ल कर के भी मुंसिफों में शामिल है,
हम जान देकर भी जमाने में खतावार हुए।


सुबूत हैं मेरे घर में धुएँ के ये धब्बे,
अभी यहाँ पर उजालों ने ख़ुदकुशी की है।


कुछ अच्छा होने पे जो इंसान सबसे पहले याद आता है
वो जिंदगी का सबसे कीमती इन्सान होता है


पलकें भी चमक जाती हैं सोते में हमारी,
आँखों को अभी ख्वाब छुपाने नहीं आते ।


बाज़ारों की चहल पहल से रौशन है
इन आँखों में मंदिर जैसी शाम कहाँ…


हाथ छुटे भी तो रिश्ते नही छोड़ा करते,
वक्त की शाख से लम्हे नही टूटा करते l


सुकून मिलता है दो लफ्ज़ कागज पे उतार कर,
कह भी देता हूँ और आवाज भी नहीं होती।


कौन डूबेगा किसे पार उतरना है ज़फ़र,
फ़ैसला वक़्त के दरिया में उतर कर होगा।


सब होगा मुकम्मल कबूल बनेंगे लाख जरिये
हुजूर एक दफा मोहब्बत तो करिये।


झूम जाते हैं शायरी के लफ्ज़ बहार के पत्तों की तरह
जब शुरू होता है बयां ए हुस्न महबूब का मेरे


वादा करके और भी आफ़त में डाला आपने,
ज़िन्दगी मुश्किल थी, अब मरना भी मुश्किल हो गया ।


उसने पूछा, मुझे पाने के लिये किस हद तक जा सकते हो ?
मैंने कहा कि अगर हद ही पार करनी होती
तो तुम्हें कब का पा लिया होता।


मुद्दत के बाद उसने जो आवाज़ दी मुझे,
कदमों की क्या बिसात थी, साँसे ठहर गयीं।


बारिशें कुछ इस तरह से होती रही मुझ पे,
ख्वाहिशें सूखती रही और पलके भीगती रही।


गजब का जुल्म ढाया खुदा ने हम दोनों के उपर
मुझे भरपुर इस्क दे कर तुम्हें बेइन्तहा हुस्न दे कर


मुझे घमंड था की मेरे चाहने
वाले बहुत है इस दुनिया में
बाद में पता चला की सब चाहते है
अपनी जरूरत के लिए


नींद चुराने वाले पूछते हैं सोते क्यों नही,
इतनी ही फिक्र है तो फिर हमारे होते क्यों नही।


जिद में आकर उनसे ताल्लुक तोड़ लिया हमने,
अब सुकून उनको नहीं और बेकरार हम भी हैं।


हम भी दरिया हैं, हमें अपना हुनर मालूम है,
जिस तरफ़ भी चल पड़ेगे, रास्ता हो जाएगा।।


तुम्हारा हुस्न आराइश.तुम्हारी सादगी जेवर
तुम्हें कोई जरूरत ही नहीं बनने-संवरने की


हवाएँ हड़ताल पर हैं शायद,
आज तुम्हारी खुशबू नहीं आई ।


मत पूछ शीशे से उसके टूटने की वजह…
उसने भी किसी पत्थर को अपना समझा होगा ।


हम कितने दिन जिए ये जरुरी नहीं,
हम उन दिनों में कितना जिए ये जरुरी है।


मेरे हाथ महकते रहे तमाम दिन…।
जब ख्वाब में तेरे बाल संवारे मैंने ।।


अपने सिवा बताओ कभी कुछ मिला भी है उसे..
हज़ार बार ली हैं उसने मेरे दिल की तलाशियाँ!


बस यही सोच कर हर तपिश में जलता आया हूँ,
धूप कितनी भी तेज़ हो समंदर नहीं सूखा करते।


बिछड़ा इस कदर से के रुत ही बदल गयी…।
एक शख्स सारे शहर को वीरान कर कर गया ।।


हवा से कह दो खुद को आज़मा के दिखाये,
बहुत चिराग बुझाती है एक जला के दिखाये।


हुस्न वालों ने क्या कभी की ख़ता कुछ भी ?
ये तो हम हैं सारे इलज़ाम लिये फिरते हैं।


वो सुना रहे थे अपनी वफाओ के किस्से,
हम पर नज़र पड़ी तो खामोश हो गए ।


ये हुस्न-ए-राज़ मुहब्बत छुपा रहा है कोई है
अश्क आँखों में और मुस्कुरा रहा है कोई


ना तोल मेरी मोहब्बत को अपनी दिल्लगी से,
देख कर मेरी चाहत को अक्सर तराजू टूट जाते हैं


शौक-ए-सफ़र कहाँ से कहाँ ले गया हमें,
हम जिस को छोड़ आये हैं मंजिल वही तो थी।


सीख कर गया है वो मोहब्बत मुझसे,
जिस से भी करेगा बेमिसाल करेगा।


हर मर्ज़ का इलाज़ मिलता था उस बाज़ार में,
मोहब्बत का नाम लिया दवाख़ाने बन्द हो गये।


हमने कब कहा कि कीमत समझो तुम हमारी,
ग़र हमें बिकना ही होता तो आज यूँ तनहा न होते।


आशा करते है, आपका ऊपर दी गयी दो लाइन हिंदी शायरी (Hindi Two Line Shayari) से अब तक कजेला सुलग गया होगा और आपने २-४ लोगो को फॉरवर्ड कर भी दी होगी, और मजेदार जोक्स शायरी और कोट्स के लिए साइट में खटर पटर करते रहिये, बड़ा मसाला पड़ा है साइट में।