Bezubaan Ishq | बेजुबां इश्क़

बेजुबां इश्क़

लड़ते भी हो इतना
और प्यार भी हद पार करते हो
लफ़्ज़ों से नहीं
तुम आंखों से सब बात
कह देते हो

रास्ते में मुझे हमेशा
खुद से आगे रखते हो
भीड़ में मेरा हाथ कसके
पकड़ लेते हो
मेरे ख्वाबों को पंख भी देते हो
उजाले में छुपा अंधेरा भी दिखाते हो
मेरे चेहरे की रौनक तुम्हारी हिम्मत है
और मेरी नादानियाँ तुम्हारे लिए कमजोरी

मेरी आँखें पढ़ने का हुनर
कहाँ से सीखा है तुमने?
मेरी आवाज़ से दर्द जानने
का तरीका कैसे समझा तुमने?
मेरे कदमों से मेरे सपने को
किस तरह परखा तुमने?
मेरे दिल की धड़कनों को
कब सुना तुमने ?

हाँ, यह सवालों के जवाब जानना
जरूरी है मेरे लिए
की सच है या कोई फ़साना
तो नहीं मेरे लिए
हो सके तो सपनों में नहीं
हक़ीक़त में आना
इस बेजुबां इश्क़ की किताब
का नाम पूछना है तुमसे
जो मेरे हर एक राज जानती है।

By- Ayushi Tyagi